अपने देश का सर्वोत्तम शहद उत्पन्न करता है सौराष्ट्र का एक युवक. गुजरात का एक युवा सही मायने मे कर रहा है “Transforming India” !!
By Kinner Acharya
- “दर्शन भालारा बढ़िया और लाभप्रद नौकरी छोड़कर शहद का उत्पादन क्यों कर रहे हैं?”
- “अपने देश का सर्वोत्तम शहद उत्पन्न करता है सौराष्ट्र का एक युवक.”
- “बाजार में मिलते ब्रांडेड शहद दरअसल आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ता है.”
- “जानिए, असली शहद किसे कहते हैं!”
यहाँ प्रस्तुत किए गए छायाचित्रों (फोटोग्राफ) में से एक फोटो में शहद की छे बोतल लाइन में रखी हुए हैं. छे ओ के कलर देखिए. किसी का काला तो किसी का सफ़ेद, लाल या ब्राउन (भूरा). अब बताइये कि आप इन छे ओ में से शुद्ध शहद किसे मानेंगे? अच्छा, ये छे ओ शहद १०० % शुद्ध हैं. बिच में काला शहद है.
मधु-मक्खियोँ ने इसे शीशम के फूलों को चूसकर बनाया है, बाद में दूध सा सफ़ेद शहद है जिसे काजू के फूलों से चूसा गया है, उसके ऊपर जो ब्राउन कलर का है वह शहद अजवाइन से बना है और सब से ऊपर जो लाल रंग का मर्तबान है उसमें बेर से बना शहद है. चारों मर्तबानों में जो शहद है वह शुद्ध ही है परन्तु उनकी विशेषताएं व गुण भिन्न हैं. स्वाद भी अलग. अजवाइन का शहद मधुर तो है ही किन्गु उसके साथ उसमें थोड़ी कडवाहट भी है. पर यह स्वास्थ्य के लिए उत्तम है. काजू का शहद पूर्ण रूप से शक्तिवर्द्धक है. ये चारों प्रकार के शहद के उत्पादक है जामनगर जिले के, कालावड तहसील के खरेडी गाँव के दर्शन भालारा (www.madhudhara.com) नामक युवक.
उन्हें शहद के उत्पादक कहने के बजाय शहद-प्रेमी या फिर स्वास्थ्य-प्रेमी कहना अधिक उचित होगा. एमबीए की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात उनके पास ४० हजार रुपये प्रति माह वेतनवाली अच्छी-खासी नौकरी थी. गाँव में अपनी ३६ एकड़, सिंचित व उपजाऊ, जमीन भी तो थी.सन २०१४ में प्रधान मंत्री मोदीजी ने अपने एक वक्तव्य में कृषि क्षत्र में वेल्यू एडिशन पर कुछ बातें की. दर्शनभाई ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और तय किया कि ऐसा व्यवसाय करना है जिससे समाज के स्वास्थ्य में सुधार हो. अपने क्षेत्र में आपने जबसे अजवाइन के खेत में शहद का बक्स रखा तत्पश्चात आपने कभी पीछे मुडके नहीं देखा. फिलहाल आप ९०० बक्सों में समूचे देश से शहद प्राप्त करते हैं. आप सौंफ का शहद हलवद इलाके से प्राप्त करते हैं, अजवाइन का शहद सौराष्ट्र से, लीची, शीशम और बेर का शहद आप उत्तरांचल व उत्तर प्रदेश से प्राप्त करते हैं.
कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि आज जब बाजार में अनेक प्रकार के ब्रांडेड शहद सुलभ हैं ऐसे में दर्शन भालारा का शहद क्या कुछ हट के है? विशिष्ट है? जी हाँ, यह बिलकुल विशिष्ट है. आपके शहद में आर्द्रता (नमी) की मात्रा अंतर्राष्ट्रीय मानदण्ड से एक प्रतिशत भी अधिक नहीं. इसका कारण यह है कि शहद पूर्ण रूप से परिपक्व होने के बाद ही उसे छत्ते से निकाला जाता है. ठीक है, किन्तु यह पूर्ण रूप से परिपक्व होने से क्या मतलब है?
मधु-मक्खी शहद बनाने का कार्य जब पूरा कर लेती है तब वह उस छत्ते को वेक्स (मोम) से बंद कर देती है. इस कुदरती शहद पकने की प्रक्रिया को ३० से ४५ दिन का समय लगता हे जब ऐसा होता है तब यह जान लेना चाहिए कि शहद पूर्ण रूप से परिपक्व हो गया है. इस के बाद प्राप्त किया गया शहद ही विशुद्ध व असली शहद कहा जा सकता है. किन्तु इस विधि से प्राप्त शहद का वजन बहुत ही कम हो जाता है.
अपरिपक्व शहद निकाल लेने से उत्पादन काफी मात्रा में बढ़ जाता है, मुनाफा भी बढ़ता है. परन्तु ऐसा शहद बहुत ही कम हितकारी होता है. यदि आप विशुद्ध (प्योर) शहद पाना चाहते हैं तो फिर उसकी लागत अधिक हो जाती है. हमारे यहाँ थोक में शहद की अधिकतम कीमत रु. १५०/- प्रति किलो की होती है! विशाल कंपनियां इसी कीमत पर उत्पादकों से शहद प्राप्त करतीं हैं और अपनी ब्रांड के लेबल लगाकर बाजार में बेचतीं हैं. कतिपय अत्यंत सुप्रसिद्ध कम्पनियाँ उसमें फ्रूट सिरप और कोर्न सिरप तथा पेस्टीसाइडस भी मिलातीं हैं. यह शहद डेरी के दुग्ध जैसा होता है जिसमें भेडें, बकरी, जर्सी गाय, भैंस …सबका दूध मिक्स होता है, ठीक उसी तरह सर्व प्रकार का शहद भी एकत्रित किया जाता है. उसमें बबूल का भी होता है और राई का भी होता है. उनके मूल या कुल के बारे में जानकारी तो स्वयं शहद बनानेवाली कंपनी को भी मालूम नहीं होती. भालारा का शहद १०० % विशुद्ध और परिपक्व है और सही माने में यही ‘रो’ (अपरिष्कृत, शुद्ध) शहद है. उस पर किसी भी प्रकार की प्रोसेस (विधि) नहीं की जाती. इसीलिए ही यह कुछ महंगा होता है.
बाजार में उपलब्ध ब्रांडमें से ९९.९ % शहद यक़ीनन अपरिपक्व एवं प्रोसेस्ड ही होता है. दूसरी महत्वपूर्ण बात है: देशी बक्सेमें मधुमक्खी-पालन करने के बाद भी शायद शुद्धतम रूप में शहद नहीं पाया जा सकता क्योंकि उसमें लार्वा, अंडे और अन्य अशुद्धियोँ का समावेश हो ही जाता है. दर्शन भालारा अधिकतर न्यूजीलैंड की पद्धति से बने बक्से का ही उपयोग करते हैं. उनमें मधुमक्खी के लिए शहद एकत्रित करने के और अंडे देने के खाने अलग ही होते हैं! अतः शहद के साथ अशुद्धियोँ का या अंडे के मिल जानेका सवाल ही नहीं आता. भारत के बाजारों में उपलब्ध शहद की तुलना में इस पद्धति से प्राप्त किया गया शहद अधिक गुणकारी और विशुद्ध होता है.
दर्शन भालारा ने ठान लिया है कि लोगों को शहद तो विशुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक ही दूंगा. आपका उत्पादन बड़े पैमाने पर न सही किन्तु उसके प्रति आपकी निष्ठा व ईमानदारी काबिले दाद है. आपका ऐसा मानना कि शहद का पैकिंग शीशे की बोतल में ही होना चाहिए सर्वथा उचित है. इसीलिए ही आप दूर मलेशिया से ख़ास प्रकार की बोतलें मंगवाते हैं. आप बक्स के अन्दर थर्मोकोल रखने के बाद ही शहद सप्लाई (आपूर्ति) करते हैं. आप का एक ही ब्रांड है जिसका नाम है ‘मधुधारा’. न कोई डिस्ट्रिब्यूटर, न कोई स्टॉकिस्ट. आर्डर मिलने पर आप अपने उत्पादनों से संबंधित सारे कार्य खुद ही निपटाते हैं. जिस किसीने एक बार भी आपके शहद का स्वाद चखा हो वह व्यक्ति फिर किसी अन्य शहद को आजमाने की चेष्टा कभी नहीं करेगी.
शहद की तरह आपका गिर गाय का घी भी सर्वोत्तम है. आपके पास गिर गायें अच्छी तादाद में हैं. आप इन गायों को चारे में हरी घास और नारियल की खली ही देते हैं. दूध का दोहन केवल पीतल के पात्र में ही होता है, दहीं जमाने के लिए किवल मिटटी के पात्रों का प्रयोग होता है. मंथन के लिए लकड़ी की मथानी का उपयोग करते हैं. जब मक्खन तैयार हो जाता है तब पात्र के मुंह को कपडे के टुकड़े से बाँध दिया जाता है और पात्र को अपनी वाटिका के चारों ओर लगे नीम के वृक्ष के नीचे रखा जाता है. आखिर में मिटटी के पात्र में ही देशी चूल्हे पर घी बनाया जाता है. यही हमारी असली आयुर्वेदिक पद्धति है. आपके यहाँ प्रतिदिन सौ लिटर छाछ बनती है पर आप कभी उसकी बिक्री नहीं करते. गाँव से जो कोई जरूरतमंद आदमी आता है, वह मुफ्त में ही छाछ ले कर जाता है. जब आपने घी के व्यवसाय का प्रारंभ किया था तब आपने दादीमाँ से वादा किया था कि आप कभी भी छाछ नहीं बेचेंगे. आप आज भी यह वादा नहीं भूले और उसे बाखुशी निभाते हैं.
आज किसान का जवान बेटा खेती करना नहीं चाहता, किसानों को कर्जे में माफ़ी और सरकारी सहाय में अधिक दिलचस्पी है. रोना धोना है, पर फसल में वेल्यू एडिशन नहीं करना चाहता. मूंगफली और कपास के सिवा इस दुनिया में और भी काफी कुछ है उनके बारे में सोचना नहीं चाहता. ऐसे कई लोगों के लिए दर्शन भालारा एक आदर्श के रूप में हमारे सामने उभरे हैं.
यदि प्रामाणिकता से किसानी व गोपालन किया जाए, वेल्यू एडिशन के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचा जाए तो जाग्रत और उच्च ग्राहक वर्ग मुंहमांगे दाम पर आपका प्रोडक्ट खरीदने के लिए क़तार में खड़े पाएंगे.